
दिल्ली हाई कोर्ट ने गर्भपात की समय-सीमा बढ़ाने की याचिका पर केंद्र से जवाब तलब
गर्भपात के लिए समय-सीमा बढ़ाने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय महिला आयोग, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और केंद्रीय विधि मंत्रालय को नोटिस जारी किया है।
याचिका में किसी गर्भवती महिला या उसके गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य को कोई खतरा होने की स्थिति में गर्भपात कराने की समय-सीमा बढ़ाकर 24 या 26 हफ्ते करने की मांग की गई है। एमटीपी एक्ट के तहत बीस हफ्ते से ज्यादा के रूण को हटाने की इजाजत नहीं है। बीस हफ्ते से ज्यादा के रूण को हटाने के लिए कोर्ट से इजाजत लेनी होती है।
याचिका वकील अमित साहनी ने दायर किया है। याचिका में कहा गया है कि कई बार गंभीर किस्म की बीमारियों वाले रूण को हटाने की इजाजत नहीं दी जाती है लेकिन उसका दुष्परिणाम महिला को भुगतना पड़ता है। गंभीर किस्म के रूण से पैदा हुए बच्चे को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
याचिका में किसी गर्भवती महिला या उसके गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य को कोई खतरा होने की स्थिति में गर्भपात कराने की समय-सीमा बढ़ाकर 24 या 26 हफ्ते करने की मांग की गई है। एमटीपी एक्ट के तहत बीस हफ्ते से ज्यादा के रूण को हटाने की इजाजत नहीं है। बीस हफ्ते से ज्यादा के रूण को हटाने के लिए कोर्ट से इजाजत लेनी होती है।
याचिका वकील अमित साहनी ने दायर किया है। याचिका में कहा गया है कि कई बार गंभीर किस्म की बीमारियों वाले रूण को हटाने की इजाजत नहीं दी जाती है लेकिन उसका दुष्परिणाम महिला को भुगतना पड़ता है। गंभीर किस्म के रूण से पैदा हुए बच्चे को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

गर्भपात अधिनियम (मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट) 1971
चिकित्सा गर्भपात संशोधन विधेयक, 2020 में विशेष तरह की महिलाओं के गर्भपात के लिए गर्भावस्था की सीमा 20 से बढ़ाकर 24 सप्ताह करने का प्रस्ताव है. इनमें दुष्कर्म पीड़ित, सगे-संबंधियों के साथ यौन संपर्क की पीड़ित और अन्य महिलाएं (दिव्यांग महिलाएं, नाबालिग) भी शामिल होंगी.
मंत्रालय ने यह हलफनामा याचिकाकर्ता और वकील अमित साहनी की जनहित याचिका के मामले में दाखिल किया. अमित साहनी ने अपनी याचिका में कहा था कि महिला और उसके भ्रूण के स्वास्थ्य के खतरे को देखते हुए गर्भपात कराने की अवधि 20 सप्ताह से बढ़ाकर 24 से 26 हफ्ते कर दी जाए. इसके अलावा अविवाहित महिला और विधवाओं को भी कानूनी रूप से गर्भपात कराने की अनुमति दी जाए.
मंत्रालय ने यह हलफनामा याचिकाकर्ता और वकील अमित साहनी की जनहित याचिका के मामले में दाखिल किया. अमित साहनी ने अपनी याचिका में कहा था कि महिला और उसके भ्रूण के स्वास्थ्य के खतरे को देखते हुए गर्भपात कराने की अवधि 20 सप्ताह से बढ़ाकर 24 से 26 हफ्ते कर दी जाए. इसके अलावा अविवाहित महिला और विधवाओं को भी कानूनी रूप से गर्भपात कराने की अनुमति दी जाए.

ट्रिपल तलाक के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने आम महिलाओ को दी बड़ी राहत, अब 24 वें हफ्ते में भी गर्भपात करा सकेंगी महिलाएं, मोदी कैबिनेट की मंजूरी, बदला नियम » News Today Chhattisgarh
दिल्ली वेब डेस्क / प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कैबिनेट नेमेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (अमेंडमेंट) बिल, 2020 को मंजूरी दे दी है | इससे देश की महिलाओ को बड़ी राहत देने के रूप में देखा जा रहा है | मंत्रालय ने यह हलफनामा याचिकाकर्ता और वकील अमित साहनी की जनहित याचिका के मामले में दाखिल किया. अमित साहनी ने अपनी याचिका में कहा था कि महिला और उसके भ्रूण के स्वास्थ्य के खतरे को देखते हुए गर्भपात कराने की अवधि 20 सप्ताह से बढ़ाकर 24 से 26 हफ्ते कर दी जाए. इसके अलावा अविवाहित महिला और विधवाओं को भी कानूनी रूप से गर्भपात कराने की अनुमति दी जाए.

गर्भपात के लिए समय-सीमा बढ़ाने की याचिका पर महिला आयोग, स्वास्थ्य व कानून मंत्रालय को नोटिस
गर्भपात के लिए समय-सीमा बढ़ाने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय महिला आयोग, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और केंद्रीय विधि मंत्रालय को नोटिस जारी किया है।
याचिका में किसी गर्भवती महिला या उसके गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य को कोई खतरा होने की स्थिति में गर्भपात कराने की समय-सीमा बढ़ाकर 24 या 26 हफ्ते करने की मांग की गई है। एमटीपी एक्ट के तहत बीस हफ्ते से ज्यादा के रूण को हटाने की इजाजत नहीं है। बीस हफ्ते से ज्यादा के रूण को हटाने के लिए कोर्ट से इजाजत लेनी होती है।
याचिका वकील अमित साहनी ने दायर किया है। याचिका में कहा गया है कि कई बार गंभीर किस्म की बीमारियों वाले रूण को हटाने की इजाजत नहीं दी जाती है लेकिन उसका दुष्परिणाम महिला को भुगतना पड़ता है। गंभीर किस्म के रूण से पैदा हुए बच्चे को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
याचिका में किसी गर्भवती महिला या उसके गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य को कोई खतरा होने की स्थिति में गर्भपात कराने की समय-सीमा बढ़ाकर 24 या 26 हफ्ते करने की मांग की गई है। एमटीपी एक्ट के तहत बीस हफ्ते से ज्यादा के रूण को हटाने की इजाजत नहीं है। बीस हफ्ते से ज्यादा के रूण को हटाने के लिए कोर्ट से इजाजत लेनी होती है।
याचिका वकील अमित साहनी ने दायर किया है। याचिका में कहा गया है कि कई बार गंभीर किस्म की बीमारियों वाले रूण को हटाने की इजाजत नहीं दी जाती है लेकिन उसका दुष्परिणाम महिला को भुगतना पड़ता है। गंभीर किस्म के रूण से पैदा हुए बच्चे को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

गर्भपात के लिए समय-सीमा बढ़ाने की याचिका पर महिला आयोग, स्वास्थ्य व कानून मंत्रालय को नोटिस
नई दिल्ली। गर्भपात के लिए समय-सीमा बढ़ाने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्लीदिल्ली हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय महिला आयोग, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और केंद्रीय विधि मंत्रालय को नोटिस जारी किया है।याचिका वकील अमित साहनी ने दायर किया है। याचिका में कहा गया है कि कई बार गंभीर किस्म की बीमारियों वाले भ्रूण को हटाने की इजाजत नहीं दी जाती है लेकिन उसका दुष्परिणाम महिला को भुगतना पड़ता है। गंभीर किस्म के भ्रूण से पैदा हुए बच्चे को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

गर्भपात के लिए समय-सीमा कितनी बढ़ाएं, महिला आयोग से मांगा जवाब
नई दिल्ली। महिलाओं के लिए गर्भपात कराने की समय सीमा बढ़ाने की मांग लगातार जा रही है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने महिला आयोग, कानून और स्वास्थ्य मंत्रालय से जवाब मांगा है। दिल्ली हाईकोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई है जिसमें ये मांग की गई है कि गर्भपात कराने के लिए समय सीमा बढ़ानी चाहिए। याचिका में मांग की गई है कि किसी गर्भवती महिला या उसके गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य को कोई खतरा होने की स्थिति में गर्भपात कराने की समय-सीमा 20 हफ्ते से बढ़ाकर 24 या 26 हफ्ते होनी चाहिए। साथ ही याचिका में इस बात का भी अनुरोध किया गया है कि अविवाहित महिलाओं और विधवाओं को भी कानून के तहत वैधानिक गर्भपात की अनुमति मिलनी चाहिए। ये याचिका सामाजिक कार्यकर्ता और वकील अमित साहनी की ओर से दायर की गई है। साथ ही इसमें स्वास्थ्य मंत्रालय एवं कानून मंत्रालय को निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है। 6 अगस्त को दिल्ली हाईकोर्ट इस पर अगली सुनवाई करेगा।

गर्भपात के लिये समय-सीमा बढ़ाने संबंधी याचिका पर मंगलवार को सुनवाई करेगी अदालत
नयी दिल्ली: किसी गर्भवती महिला या उसके गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य को कोई खतरा होने की स्थिति में गर्भपात कराने की समय-सीमा बढ़ाकर 24 या 26 हफ्ते करने की अनुमति से संबंधित याचिका पर दिल्ली उच्च न्यायालय मंगलवार को सुनवाई करने के लिये सहमत हो गया है। फिलहाल गर्भपात कराने की समय-सीमा 20 सप्ताह है। सामाजिक कार्यकर्ता एवं वकील अमित साहनी की ओर से दायर याचिका में स्वास्थ्य मंत्रालय एवं कानून मंत्रालय को इस संबंध में निर्देश देने का अनुरोध किया गया है। याचिका में दोनों मंत्रालयों को अदालत को यह बताने का निर्देश देने की मांग की गई है कि 2014 के मसौदा संशोधन के प्रस्ताव के संदर्भ में ‘गर्भ का चिकित्सकीय समापन अधिनियम, 1971’ के प्रावधानों में कब बदलाव किया जायेगा। मौजूदा कानून के मुताबिक 20 सप्ताह से अधिक के गर्भ के समापन की अनुमति नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट में महिलाओं के प्रजनन और गर्भपात के अधिकार को लेकर याचिका दाखिल, कोर्ट ने केन्द्र सरकार को भेजा नोटिस - Lokmat News Hindi | DailyHunt
किसी गर्भवती महिला या उसके गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य को कोई खतरा होने की स्थिति में गर्भपात कराने की समय-सीमा बढ़ाकर 24 या 26 हफ्ते करने की अनुमति से संबंधित याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की। तीन महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की थी। जिसमें उन्होंने मांग की थी कि गर्भपात को अपराधीकरण से बाहर किया जाना चाहिए। जनहित याचिका पर सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को नोटिस जारी कर दिया है। फिलहाल गर्भपात कराने की समय-सीमा 20 सप्ताह है। याचिका में यह अनुरोध किया गया है कि अविवाहित महिलाओं और विधवाओं को भी कानून के तहत वैधानिक गर्भपात की अनुमति मिलनी चाहिए। इस याचिका में मेडिकल टर्मीनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट में बदलाव की मांग भी की गई है। सामाजिक कार्यकर्ता और वकील अमित साहनी की ओर से दायर याचिका में स्वास्थ्य मंत्रालय एवं कानून मंत्रालय को इस संबंध में निर्देश देने का अनुरोध किया गया है।

गर्भावस्था समाप्त करने की समय सीमा 12 से बढ़कर 24/ 26 सप्ताह तक हो सकती है
नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने गर्भपात संबंधी कानून में संशोधन और अविवाहित महिलाओं को कानूनी रूप से गर्भपात की अनुमति प्रदान करने के मुद्दे पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिका में आपात स्थिति में गर्भपात की सीमा २० से बढ़ाकर २४ या २६ सप्ताह करने की भी मांग की गई है। मौजूदा कानून के तहत २० हफ्ते से अधिक के भ्रूण का गर्भपात नहीं किया जा सकता। मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन व न्यायमूर्ति बृजेश सेठी की खंडपीठ ने अधिवक्ता अमित साहनी की याचिका पर केंद्र सरकार व राष्ट्रीय महिला आयोग को नोटिस जारी किया है। याचिका पर अगली सुनवाई ६ अगस्त को होगी। जनहित याचिका में कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय, कानून व विधि मंत्रालय से पूछा जाए कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेनेंसी एक्ट १९७१ के उस प्रावधान में संशोधन कब किया जाएगा, जो २० हफ्ते से अधिक का गर्भपात कराने की अनुमति नहीं देता। इस प्रावधान में संशोधन का प्रस्ताव वर्ष २०१४ में किया था। कानून केवल दुष्कर्म या गर्भ निरोधकों के नाकाम होने पर गर्भ के मामलों का निबटारा करता है। यह अविवाहित युवतियों व विधवाओं के गर्भपात के मुद्दे पर खामोश है। इन महिलाओं को भी गर्भपात कराने का अधिकार दिया जाए।

अविवाहित महिलाओं के गर्भपात के अधिकार पर कोर्ट ने केंद्र सरकार को भेजा नोटिस, मांगा जवाब
नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने गर्भपात संबंधी कानून में संशोधन और अविवाहित महिलाओं को कानूनी रूप से गर्भपात की अनुमति प्रदान करने के मुद्दे पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। याचिका में आपात स्थिति में गर्भपात की सीमा २० से बढ़ाकर २४ या २६ सप्ताह करने की भी मांग की गई है। मौजूदा कानून के तहत २० हफ्ते से अधिक के भ्रूण का गर्भपात नहीं किया जा सकता। मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन व न्यायमूर्ति बृजेश सेठी की खंडपीठ ने अधिवक्ता अमित साहनी की याचिका पर केंद्र सरकार व राष्ट्रीय महिला आयोग को नोटिस जारी किया है। याचिका पर अगली सुनवाई ६ अगस्त को होगी। जनहित याचिका में कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय, कानून व विधि मंत्रालय से पूछा जाए कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेनेंसी एक्ट १९७१ के उस प्रावधान में संशोधन कब किया जाएगा, जो २० हफ्ते से अधिक का गर्भपात कराने की अनुमति नहीं देता। इस प्रावधान में संशोधन का प्रस्ताव वर्ष २०१४ में किया था। कानून केवल दुष्कर्म या गर्भ निरोधकों के नाकाम होने पर गर्भ के मामलों का निबटारा करता है। यह अविवाहित युवतियों व विधवाओं के गर्भपात के मुद्दे पर खामोश है। इन महिलाओं को भी गर्भपात कराने का अधिकार दिया जाए।

Pregnancy Amendment Bill 2020: 24वें सप्ताह में महिलाएं करा सकेंगी गर्भपात, इन देशों में है ये कानून - Chatpati News
केंद्रीय कैबिनेट ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (संशोधन) बिल 2020 को मंजूरी दे दी है।आपको बता दें कि याचिकाकर्ता और वकील अमित साहनी की जनहित याचिका पर सरकार की ओर से कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया गया था। साहनी ने अपना याचिका में मांग की थी कि महिला और उसके भ्रूण के स्वास्थ्य के खतरे को देखते हुए गर्भपात कराने की अवधि 20 सप्ताह से बढ़ाकर 24 से 26 हफ्ते कर दी जाए। साथ ही अविवाहित महिला और विधवाओं को भी कानूनी रूप से गर्भपात कराने की अनुमति दी जाए।

गर्भपात के लिए समय-सीमा बढ़ाने की याचिका पर महिला आयोग, स्वास्थ्य व कानून मंत्रालय को नोटिस.
मंत्रालय ने यह हलफनामा याचिकाकर्ता और वकील अमित साहनी की जनहित याचिका के मामले में दाखिल किया. अमित साहनी ने अपनी याचिका में कहा था कि महिला और उसके भ्रूण के स्वास्थ्य के खतरे को देखते हुए गर्भपात कराने की अवधि 20 सप्ताह से बढ़ाकर 24 से 26 हफ्ते कर दी जाए. इसके अलावा अविवाहित महिला और विधवाओं को भी कानूनी रूप से गर्भपात कराने की अनुमति दी जाए.

दिल्ली हाई कोर्ट ने गर्भपात की समय-सीमा बढ़ाने की याचिका पर केंद्र से जवाब तलब
मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की पीठ के समक्ष एक हलफनामे में स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा है कि मेडिकल टर्मिनेशन आफ प्रेगनेन्सी (एमटीपी) कानून में संशोधन के लिए संबंधित मंत्रालयों और नीति आयोग की राय लेने के बाद उसने मार्च में मंजूरी के लिए अंतिम ड्राफ्ट को विधि मंत्रालय को भेज दिया था। हालांकि, विधि मंत्रालय ने नोट भेजकर कहा था कि चूंकि संसद का दोनों सदन अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो गया, ऐसे में नयी सरकार के शपथग्रहण के बाद सभी हितधारकों के साथ परामर्श करने के बाद मामले पर गौर किया जाएगा। हलफनामे में कहा गया कि इसके बाद एमटीपी कानून 1971 में संशोधन के लिए अंतर मंत्रालयी विमर्श की प्रक्रिया शुरू की और बहुत जल्द इसे अंतिम रूप दिया जाएगा। सामाजिक कार्यकर्ता और वकील अमित साहनी ने एक जनहित याचिका दायर की थी, जिसके जवाब में यह हलफनामा दाखिल किया गया।

गर्भपात की समयसीमा बढ़ाने की याचिका पर अदालत ने केंद्र से मांगा जवाब
मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और न्यायमूर्ति ब्रजेश सेठी की पीठ ने स्वास्थ्य और कानून मंत्रालयों तथा राष्ट्रीय महिला आयोग को नोटिस भेजकर याचिका पर उनका रुख पूछा है। याचिका में दलील दी गयी है कि अविवाहित महिलाओं और विधवाओं को भी कानूनी तरीके से गर्भपात की इजाजत मिलनी चाहिए।
अदालत ने कहा कि इस मुद्दे पर विचार विमर्श की जरूरत है। अदालत ने अगली सुनवाई के लिए छह अगस्त की तारीख तय की। सामाजिक कार्यकर्ता और वकील अमित साहनी ने याचिका दाखिल कर मंत्रालयों को अदालत को यह बताने के लिए निर्देश देने की मांग की थी कि चिकित्सकीय गर्भपात कानून (Abortion Law), 1971 में 2014 के प्रस्तावित मसौदा संशोधन के मद्देनजर संशोधन कब किये जाएंगे। कानून के उस प्रावधान को बदलने की मांग की गयी है जो 20 सप्ताह से अधिक के गर्भ को गिराने की इजाजत नहीं देता।
अदालत ने कहा कि इस मुद्दे पर विचार विमर्श की जरूरत है। अदालत ने अगली सुनवाई के लिए छह अगस्त की तारीख तय की। सामाजिक कार्यकर्ता और वकील अमित साहनी ने याचिका दाखिल कर मंत्रालयों को अदालत को यह बताने के लिए निर्देश देने की मांग की थी कि चिकित्सकीय गर्भपात कानून (Abortion Law), 1971 में 2014 के प्रस्तावित मसौदा संशोधन के मद्देनजर संशोधन कब किये जाएंगे। कानून के उस प्रावधान को बदलने की मांग की गयी है जो 20 सप्ताह से अधिक के गर्भ को गिराने की इजाजत नहीं देता।

दिल्ली हाई कोर्ट ने गर्भपात की समय-सीमा बढ़ाने की याचिका पर केंद्र से जवाब तलब
नई दिल्ली:
दिल्ली उच्च न्यायालय ने गर्भपात की समय-सीमा '20 सप्ताह से बढ़ाकर 24 या 26 सप्ताह' तक करने की मांग वाली याचिका पर मंगलवार को केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और न्यायमूर्ति बृजेश सेट्ठी की खंडपीठ ने मामले को 6 अगस्त के लिए सूचीबद्ध कर दिया और कहा कि कुछ मुद्दों पर वैज्ञानिक तरीके से विचार करने की जरूरत होती है.
यह याचिका सामाजिक कार्यकर्ता और वकील अमित साहनी ने दायर की थी. याचिकाकर्ता ने सरकार को मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) विधेयक की धारा 3(2)(बी) में उचित संशोधन कर गर्भपात के लिए 20 हफ्तों की समय-सीमा को बढ़ाकर आगे 4 या 6 हफ्तों तक करने के लिए आदेश देने की मांग की थी.
दिल्ली उच्च न्यायालय ने गर्भपात की समय-सीमा '20 सप्ताह से बढ़ाकर 24 या 26 सप्ताह' तक करने की मांग वाली याचिका पर मंगलवार को केंद्र सरकार से जवाब मांगा है. मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और न्यायमूर्ति बृजेश सेट्ठी की खंडपीठ ने मामले को 6 अगस्त के लिए सूचीबद्ध कर दिया और कहा कि कुछ मुद्दों पर वैज्ञानिक तरीके से विचार करने की जरूरत होती है.
यह याचिका सामाजिक कार्यकर्ता और वकील अमित साहनी ने दायर की थी. याचिकाकर्ता ने सरकार को मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) विधेयक की धारा 3(2)(बी) में उचित संशोधन कर गर्भपात के लिए 20 हफ्तों की समय-सीमा को बढ़ाकर आगे 4 या 6 हफ्तों तक करने के लिए आदेश देने की मांग की थी.

गर्भपात के लिए समय-सीमा बढ़ाने की याचिका पर महिला आयोग, स्वास्थ्य व कानून मंत्रालय को नोटिस.
मौजूदा कानून के तहत 20 सप्ताह से अधिक के भ्रूण को नहीं गिराया जा सकता। मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन व न्यायमूर्ति बृजेश सेठी की खंडपीठ ने याचिका को मंगलवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्घ किया है।
अधिवक्ता अमित साहनी ने जनहित याचिका में कहा है कि स्वास्थ्य, कानून व विधि मंत्रालय से पूछा जाए कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट 1971 के उस प्रावधान में संशोधन कब किया जाएगा, जो 20 सप्ताह से अधिक का गर्भपात कराने की अनुमति नहीं देता। इस प्रावधान में संशोधन का प्रस्ताव 2014 में किया गया था।
अधिवक्ता अमित साहनी ने जनहित याचिका में कहा है कि स्वास्थ्य, कानून व विधि मंत्रालय से पूछा जाए कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट 1971 के उस प्रावधान में संशोधन कब किया जाएगा, जो 20 सप्ताह से अधिक का गर्भपात कराने की अनुमति नहीं देता। इस प्रावधान में संशोधन का प्रस्ताव 2014 में किया गया था।

गर्भपात की समय-सीमा बढ़ाने की याचिका पर केंद्र से जवाब तलब
नई दिल्ली, 28 मई (आईएएनएस)| दिल्ली उच्च न्यायालय ने गर्भपात की समय-सीमा '20 सप्ताह से बढ़ाकर 24 या 26 सप्ताह' तक करने की मांग वाली याचिका पर मंगलवार को केंद्र सरकार से जवाब मांगा है।
मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और न्यायमूर्ति बृजेश सेट्ठी की खंडपीठ ने मामले को 6 अगस्त के लिए सूचीबद्ध कर दिया और कहा कि कुछ मुद्दों पर वैज्ञानिक तरीके से विचार करने की जरूरत होती है।
यह याचिका सामाजिक कार्यकर्ता और वकील अमित साहनी ने दायर की थी। याचिकाकर्ता ने सरकार को मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) विधेयक की धारा 3(2)(बी) में उचित संशोधन कर गर्भपात के लिए 20 हफ्तों की समय-सीमा को बढ़ाकर आगे 4 या 6 हफ्तों तक करने के लिए आदेश देने की मांग की थी।
मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन और न्यायमूर्ति बृजेश सेट्ठी की खंडपीठ ने मामले को 6 अगस्त के लिए सूचीबद्ध कर दिया और कहा कि कुछ मुद्दों पर वैज्ञानिक तरीके से विचार करने की जरूरत होती है।
यह याचिका सामाजिक कार्यकर्ता और वकील अमित साहनी ने दायर की थी। याचिकाकर्ता ने सरकार को मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (एमटीपी) विधेयक की धारा 3(2)(बी) में उचित संशोधन कर गर्भपात के लिए 20 हफ्तों की समय-सीमा को बढ़ाकर आगे 4 या 6 हफ्तों तक करने के लिए आदेश देने की मांग की थी।

२४व्या आठवड्यात गर्भपात करता येणार; केंद्राची मंजुरी
संबंधित मंत्रालय आणि नीती आयोगाचा सल्ला घेतल्यानंतर गर्भपातासंबंधी कायद्यात दुरुस्ती करण्याच्या मसुद्याला अंतिमरुप देण्यात येईल. त्यानंतर हा मसुदा विधी मंत्रालयाकडे पाठवण्यात येईल. त्यानंतर केंद्रीय मंत्रिमंडळाची विधेयकाला मंजुरी घेतल्यानंतर संसदेच्या दोन्ही सभागृहाच्या पटलावर हे विधेयक ठेवण्यात येईल, असं या प्रतिज्ञापत्रात म्हटलं आहे. गर्भापातासंबंधी मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नंसी कायदा १९७१मध्ये दुरुस्ती करण्यासाठीचा मसुदा विधी मंत्रालयाला पाठवल्याचंही केंद्राने नंतर कोर्टाला सांगितलं होतं.
वकील अमित साहनी यांनी कोर्टात ही जनहित याचिका दाखल केली होती. महिला आणि जन्माला येणाऱ्या मुलाच्या आरोग्याला असलेला धोका पाहता गर्भपात करण्याचा अवधी २० आठवड्याहून वाढवून तो २४ ते २६ आठवड्याचा करावा. तसेच अविवाहित महिला आणि विधवांना गर्भपात करण्याची कायदेशीर परवानगी देण्यात यावी, असं साहनी यांनी या याचिकेत म्हटलं होतं. दरम्यान, या निर्णयामुळे बलात्कार पीडित महिला, विधवा आणि अविवाहित महिलांना दिलासा मिळण्याची शक्यता आहे.
वकील अमित साहनी यांनी कोर्टात ही जनहित याचिका दाखल केली होती. महिला आणि जन्माला येणाऱ्या मुलाच्या आरोग्याला असलेला धोका पाहता गर्भपात करण्याचा अवधी २० आठवड्याहून वाढवून तो २४ ते २६ आठवड्याचा करावा. तसेच अविवाहित महिला आणि विधवांना गर्भपात करण्याची कायदेशीर परवानगी देण्यात यावी, असं साहनी यांनी या याचिकेत म्हटलं होतं. दरम्यान, या निर्णयामुळे बलात्कार पीडित महिला, विधवा आणि अविवाहित महिलांना दिलासा मिळण्याची शक्यता आहे.

अब 24वें सप्ताह में भी गर्भपात करा सकेंगी महिलाएं, नए बिल को कैबिनेट की मंजूरी
केंद्रीय कैबिनेट ने आज मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेगनेंसी एक्ट (संशोधित) 1971 को मंजूरी दी, इसके अंतर्गत गर्भपात की उपरी सीमा 20 से बढ़ाकर 24 सप्ताह की जाएगी. केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कैबिनेट मीटिंग की जानकारी देते हुए बताया, महिलाओं की मांग थी, डॉक्टर की सिफारिश थी, कोर्ट का आग्रह था.
मंत्रालय ने यह हलफनामा याचिकाकर्ता वकील एवं सामाजिक कार्यकर्ता अमित साहनी की तरफ से दायर जनहित याचिका के मामले में दाखिल किया था. अमित साहनी की ओर से अर्जी में कहा गया था कि महिला और उसके भ्रूण के स्वास्थ्य के खतरे को देखते हुए गर्भपात कराने की अवधि 20 सप्ताह से बढ़ाकर 24 से 26 हफ्ते कर दी जाए. इसके अलावा गैरशादीशुदा महिला और विधवाओं को भी कानूनी रूप से गर्भपात कराने की अनुमति दी जानी चाहिए.
मंत्रालय ने यह हलफनामा याचिकाकर्ता वकील एवं सामाजिक कार्यकर्ता अमित साहनी की तरफ से दायर जनहित याचिका के मामले में दाखिल किया था. अमित साहनी की ओर से अर्जी में कहा गया था कि महिला और उसके भ्रूण के स्वास्थ्य के खतरे को देखते हुए गर्भपात कराने की अवधि 20 सप्ताह से बढ़ाकर 24 से 26 हफ्ते कर दी जाए. इसके अलावा गैरशादीशुदा महिला और विधवाओं को भी कानूनी रूप से गर्भपात कराने की अनुमति दी जानी चाहिए.

बदले नियम, 24वें हफ्ते में भी गर्भपात करा सकेंगी महिलाएं - CNIN News Raipur Chhattisgarh
नई दिल्ली। मोदी कैबिनेट ने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (अमेंडमेंट) बिल, 2020 को मंजूरी दे दी है. इस मंजूरी के साथ ही मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट, 1971 में संशोधन का रास्ता साफ हो गया है. अब इस बिल को संसद के आगामी सत्र में पेश किया जाएगा. इस बिल के जरिए अब महिलाएं 24वें हफ्ते भी गर्भपात करा सकेंगी.मंत्रालय ने यह हलफनामा याचिकाकर्ता और वकील अमित साहनी की जनहित याचिका के मामले में दाखिल किया. अमित साहनी ने अपनी याचिका में कहा था कि महिला और उसके भ्रूण के स्वास्थ्य के खतरे को देखते हुए गर्भपात कराने की अवधि 20 सप्ताह से बढ़ाकर 24 से 26 हफ्ते कर दी जाए. इसके अलावा अविवाहित महिला और विधवाओं को भी कानूनी रूप से गर्भपात कराने की अनुमति दी जाए.

अब 24 सप्ताह में हो सकेगा गर्भपात, जानिये इसे लेकर क्या कहता है मौजूदा कानून
केंद्रीय कैबिनेट ने बुधवार को मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (अमेंडमेंट) बिल, 2020 को हरी झंडी दिखा दी है। इस बिल को संसद के आगामी सत्र में पेश किया जाएगा। इसके तहत गर्भपात कराने की अनुमति के लिए अधिकतम सीमा 20 सप्ताह से बढ़ाकर 24 सप्ताह की गई है।याचिका वकील अमित साहनी ने दायर किया है।इसकी सुनवाई के दौरान स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोर्ट को बताया था कि गर्भवती महिला के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते में गर्भपात की समयसीमा 20 सप्ताह से बढ़ाकर 24-26 हफ्ते करने पर विचार किया जा रहा है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया था कि उसने कानून में संशोधन के लिए अपना मसौदा तैयार कर कानून मंत्रालय को भेज दिया है।
स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया था कि उसने कानून में संशोधन के लिए अपना मसौदा तैयार कर कानून मंत्रालय को भेज दिया है।

गर्भपात की सीमा 20 हफ़्ते से बढ़ाकर 26 हफ़्ते तक करने को लेकर लगाई गई याचिका पर नोटिस
गर्भपात की सीमा 20 हफ़्ते से बढ़ाकर 26 हफ़्ते तक करने को लेकर लगाई गई याचिका पर केंद्र,महिला आयोग को नोटिस. याचिका लगाने वाले अमित साहनी से आज़तक संवाददाता पूनम शर्मा ने पूछा कि गर्भपात की समय सीमा बढ़ाने की माँग की वज़ह क्या है.

गर्भपात का समय बढाने पर चल रही है चर्चा
महिलाओं के लिए गर्भपात कराने की समय सीमा बढ़ाने की मांग लगातार की जा रही है. दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका दाखिल की गई है, जिसमें ये मांग की गई है कि गर्भपात कराने के लिए समय सीमा 20 हफ़्ते से बढ़ाकर 26 हफ़्ते की जाए. ये याचिका सामाजिक कार्यकर्ता और वकील अमित साहनी की ओर से दायर की गई है. आजतक संवाददाता पूनम शर्मा ने बात की अमित साहनी से और पूछा कि गर्भपात की समय सीमा बढ़ाने की माँग की वज़ह क्या है

गर्भपात का समय बढाने पर चल रही है चर्चा : केंद्र ने उच्च न्यायालय से कहा
नयी दिल्ली, छह अगस्त (भाषा) केंद्र ने मंगलवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को सूचित किया कि उसने किसी महिला या उसके भ्रूण के स्वास्थ्य को खतरे की स्थिति में गर्भपात कराने की मौजूदा अवधि 20 सप्ताह को बढ़ाकर 24-26 सप्ताह करने के लिए अंतर मंत्रालयी विचार-विमर्श की प्रक्रिया शुरू की है।सामाजिक कार्यकर्ता और वकील अमित साहनी ने एक जनहित याचिका दायर की थी, जिसके जवाब में यह हलफनामा दाखिल किया गया। याचिका में महिला या उसके भ्रूण के स्वास्थ्य को खतरे की स्थिति में गर्भपात कराने के 20 हफ्ते की मौजूदा अविध को बढाकर 24-26 हफ्ते करने की मांग की गयी है। याचिका में कहा गया कि अविवाहित महिलाओं और विधवाओं को भी कानूनी रूप से गर्भपात कराने की अनुमति मिलनी चाहिए।(

गर्भपात की समयसीमा बढ़ाने की याचिका पर दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र से मांगा जवाब
दिल्ली हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार और राष्ट्रीय महिला आयोग को नोटिस जारी कर गर्भपात की समयसीमा 24 या 26 हफ्ते करने पर जवाब मांगा है।
याचिका में किसी गर्भवती महिला या उसके गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य को कोई खतरा होने की स्थिति में गर्भपात कराने की समयसीमा बढ़ाने की मांग की गई है। फिलहाल 20 हफ्ते की सीमा गर्भपात के लिए तय है। वकील अमित साहनी की ओर से यह याचिका दायर की गई है।
मामले की अगली सुनवाई 6 अगस्त को होगी। याचिका में यह अनुरोध किया गया है कि अविवाहित महिलाओं और विधवाओं को भी कानून के तहत वैधानिक गर्भपात की अनुमति मिलनी चाहिए। भारत में अभी तक स्वास्थ्य को कोई खतरा न हो तो गर्भवती महिलाएं 20 हफ्ते तक के समय में गर्भपात करा सकती हैं। गर्भपात की समय सीमा बढ़ाने के पक्ष में यह तर्क भी दिया जाता रहा है कि परिवार नियोजन के लिहाज से यह महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही महिलाओं के अपने शरीर और संतान पैदा करने की स्वेच्छा के लिहाज से भी यह महत्वपूर्ण हैं।
याचिका में किसी गर्भवती महिला या उसके गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य को कोई खतरा होने की स्थिति में गर्भपात कराने की समयसीमा बढ़ाने की मांग की गई है। फिलहाल 20 हफ्ते की सीमा गर्भपात के लिए तय है। वकील अमित साहनी की ओर से यह याचिका दायर की गई है।
मामले की अगली सुनवाई 6 अगस्त को होगी। याचिका में यह अनुरोध किया गया है कि अविवाहित महिलाओं और विधवाओं को भी कानून के तहत वैधानिक गर्भपात की अनुमति मिलनी चाहिए। भारत में अभी तक स्वास्थ्य को कोई खतरा न हो तो गर्भवती महिलाएं 20 हफ्ते तक के समय में गर्भपात करा सकती हैं। गर्भपात की समय सीमा बढ़ाने के पक्ष में यह तर्क भी दिया जाता रहा है कि परिवार नियोजन के लिहाज से यह महत्वपूर्ण है। इसके साथ ही महिलाओं के अपने शरीर और संतान पैदा करने की स्वेच्छा के लिहाज से भी यह महत्वपूर्ण हैं।

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मंत्रालय ने यह हलफनामा याचिकाकर्ता और वकील अमित साहनी की जनहित याचिका के मामले में दाखिल किया। अमित साहनी ने अपनी याचिका में कहा कि महिला और उसके भ्रूण के स्वास्थ्य के खतरे को देखते हुए गर्भपात कराने की अवधि 20 सप्ताह से बढ़ाकर 24 से 26 हफ्ते कर दी जाए।

गर्भपात के लिए समय-सीमा बढ़ाने की याचिका पर महिला आयोग, स्वास्थ्य व कानून मंत्रालय को नोटिस
New Delhi: गर्भपात के लिए समय-सीमा बढ़ाने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय महिला आयोग, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और केंद्रीय विधि मंत्रालय को नोटिस जारी किया है.याचिका में किसी गर्भवती महिला या उसके गर्भ मेंपल रहे शिशु के स्वास्थ्य को कोई खतरा होने की स्थिति में गर्भपात कराने की समय-सीमा बढ़ाकर 24 या 26 हफ्ते करने की मांग की गयी है. ये हलफनामा वकील और एक्टिविस्ट अमित साहनी द्वारा एमटीपी अधिनियम की व्यावहारिकता पर सवाल उठाने वाली याचिका के जवाब में दायर किया गया है, जो 20 सप्ताह की अवधि के बाद भ्रूण के गंभीर रूप से पीड़ित होने पर भी गर्भावस्था को समाप्त करने पर रोक लगाता है। याचिका में यह कहा गया है कि राज्य को महिलाओं को गंभीर स्वास्थ्य दोषों के साथ बच्चों को जन्म देने और गर्भावस्था जारी रखने के लिए बाध्य नहीं करना चाहिए।

महिलाएं अब 24वें हफ्ते में करवा सकेंगी गर्भपात, बिल को मिली कैबिनेट की मंजूरी
केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को संशोधित गर्भपात बिल यानी मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी ((Medical Termination of Pregnancy Amendment) बिल, 2020 को मंजूरी दे दी है। इस विधेयक में गर्भपात की अधिकतम सीमा 20 सप्ताह से बढ़ाकर 24 सप्ताह कर दी गई है। इसके साथ ही मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट, 1971 में संशोधन का रास्ता साफ हो गया है। जिसे संसद के आगामी सत्र में पेश किया जाएगा। इस बिल के पारित होने के बाद महिलाएं 24वें हफ्ते में भी गर्भपात करा सकेंगी। केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कैबिनेट के इस फैसले के बारे में जानकारी दी।मंत्रालय ने यह हलफनामा याचिकाकर्ता और वकील अमित साहनी की जनहित याचिका के मामले में दाखिल किया। अमित साहनी ने अपनी याचिका में कहा कि महिला और उसके भ्रूण के स्वास्थ्य के खतरे को देखते हुए गर्भपात कराने की अवधि 20 सप्ताह से बढ़ाकर 24 से 26 हफ्ते कर दी जाए।

कैबिनेट ने गर्भपात के कानून को बदलने की मंजूरी दी
कैबिनेट मीटिंग में आज मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी (अमेंडमेंट) बिल, 2020 को मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट, 1971 में संशोधन का रास्ता साफ हो गया है। यानी अब महिलाएं गर्व के 24 वें हफ्ते में भी गर्भपात करा सकेंगे। इसके लिए उन्हें किसी मेडिकल की जरूरत नहीं होगी। हाई कोर्ट में दाखिल याचिका में मांग की गई है कि अविवाहित एवं विधवा महिलाओं को किसी भी समय गर्भपात की अनुमति दी जाए।मंत्रालय ने यह हलफनामा याचिकाकर्ता और वकील अमित साहनी की जनहित याचिका के मामले में दाखिल किया। अमित साहनी ने अपनी याचिका में कहा था कि महिला और उसके भ्रूण के स्वास्थ्य के खतरे को देखते हुए गर्भपात कराने की अवधि 20 सप्ताह से बढ़ाकर 24 से 26 हफ्ते कर दी जाए। इसके अलावा अविवाहित महिला और विधवाओं को भी कानूनी रूप से गर्भपात कराने की अनुमति दी जाए।

गर्भावस्था समाप्त करने की समय सीमा 12 से बढ़कर 24/ 26 सप्ताह तक हो सकती है
गर्भावस्था समाप्त करने की समय सीमा 12 से बढ़कर 24/ 26 सप्ताह तक हो सकती है राष्ट्रीय महिला आयोग गर्भपात के लिए समय सीमा बढ़ाने की सिफारिश कर चुका है कि इसे 20 से 24 सप्ताह तक बढ़ा दिया जाए और सरकार ने ड्राफ्ट (संशोधन विधेयक 2014) के लिए जनता से वर्ष 2014 में सुझाव मांगे थे लेकिन इसे कभी संसद में नहीं रखा गया।
केंद्र सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय को यह सूचित किया है कि वो महिलाओं की अपनी मर्जी से गर्भावस्था को समाप्त करने की समय सीमा को वर्तमान 12 सप्ताह से बढ़ाकर 24 या 26 सप्ताह तक करने के लिए जल्द ही कदम उठाएगा। ये हलफनामा वकील और एक्टिविस्ट अमित साहनी द्वारा एमटीपी अधिनियम की व्यावहारिकता पर सवाल उठाने वाली याचिका के जवाब में दायर किया गया है, जो 20 सप्ताह की अवधि के बाद भ्रूण के गंभीर रूप से पीड़ित होने पर भी गर्भावस्था को समाप्त करने पर रोक लगाता है। याचिका में यह कहा गया है कि राज्य को महिलाओं को गंभीर स्वास्थ्य दोषों के साथ बच्चों को जन्म देने और गर्भावस्था जारी रखने के लिए बाध्य नहीं करना चाहिए।
केंद्र सरकार ने दिल्ली उच्च न्यायालय को यह सूचित किया है कि वो महिलाओं की अपनी मर्जी से गर्भावस्था को समाप्त करने की समय सीमा को वर्तमान 12 सप्ताह से बढ़ाकर 24 या 26 सप्ताह तक करने के लिए जल्द ही कदम उठाएगा। ये हलफनामा वकील और एक्टिविस्ट अमित साहनी द्वारा एमटीपी अधिनियम की व्यावहारिकता पर सवाल उठाने वाली याचिका के जवाब में दायर किया गया है, जो 20 सप्ताह की अवधि के बाद भ्रूण के गंभीर रूप से पीड़ित होने पर भी गर्भावस्था को समाप्त करने पर रोक लगाता है। याचिका में यह कहा गया है कि राज्य को महिलाओं को गंभीर स्वास्थ्य दोषों के साथ बच्चों को जन्म देने और गर्भावस्था जारी रखने के लिए बाध्य नहीं करना चाहिए।

गर्भपात के लिए समय-सीमा बढ़ाने की याचिका पर महिला आयोग, स्वास्थ्य व कानून मंत्रालय को नोटिस.
नई दिल्ली: गर्भपात के लिए समय-सीमा बढ़ाने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने राष्ट्रीय महिला आयोग, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय और केंद्रीय विधि मंत्रालय को नोटिस जारी किया है। याचिका में किसी गर्भवती महिला या उसके गर्भ में पल रहे शिशु के स्वास्थ्य को कोई खतरा होने की स्थिति में गर्भपात कराने की समय-सीमा बढ़ाकर 24 या 26 हफ्ते करने की मांग की गई है। एमटीपी एक्ट के तहत बीस हफ्ते से ज्यादा के भ्रूण को हटाने की इजाजत नहीं है। बीस हफ्ते से ज्यादा के भ्रूण को हटाने के लिए कोर्ट से इजाजत लेनी होती है।
याचिका वकील अमित साहनी ने दायर किया है। याचिका में कहा गया है कि कई बार गंभीर किस्म की बीमारियों वाले भ्रूण को हटाने की इजाजत नहीं दी जाती है लेकिन उसका दुष्परिणाम महिला को भुगतना पड़ता है। गंभीर किस्म के भ्रूण से पैदा हुए बच्चे को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
याचिका वकील अमित साहनी ने दायर किया है। याचिका में कहा गया है कि कई बार गंभीर किस्म की बीमारियों वाले भ्रूण को हटाने की इजाजत नहीं दी जाती है लेकिन उसका दुष्परिणाम महिला को भुगतना पड़ता है। गंभीर किस्म के भ्रूण से पैदा हुए बच्चे को भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

बदले नियम, 24वें हफ्ते में भी गर्भपात करा सकेंगी महिलाएं, मोदी कैबिनेट की मंजूरी
मौजूदा कानून के तहत 20 सप्ताह से अधिक के भ्रूण को नहीं गिराया जा सकता। मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन व न्यायमूर्ति बृजेश सेठी की खंडपीठ ने याचिका को मंगलवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्घ किया है।
अधिवक्ता अमित साहनी ने जनहित याचिका में कहा है कि स्वास्थ्य, कानून व विधि मंत्रालय से पूछा जाए कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट 1971 के उस प्रावधान में संशोधन कब किया जाएगा, जो 20 सप्ताह से अधिक का गर्भपात कराने की अनुमति नहीं देता। इस प्रावधान में संशोधन का प्रस्ताव 2014 में किया गया था।
अधिवक्ता अमित साहनी ने जनहित याचिका में कहा है कि स्वास्थ्य, कानून व विधि मंत्रालय से पूछा जाए कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट 1971 के उस प्रावधान में संशोधन कब किया जाएगा, जो 20 सप्ताह से अधिक का गर्भपात कराने की अनुमति नहीं देता। इस प्रावधान में संशोधन का प्रस्ताव 2014 में किया गया था।

विधवा-अविवाहित युवतियों को गर्भपात के अधिकार पर सुनवाई आज
अविवाहित युवतियों और विधवाओं को कानूनी रूप से गर्भपात की अनुमति और आपात स्थिति में गर्भपात की सीमा 20 सप्ताह से बढ़ाकर 24 या 26 सप्ताह करने की मांग लेकर हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। मौजूदा कानून के तहत 20 सप्ताह से अधिक के भ्रूण को नहीं गिराया जा सकता। मुख्य न्यायाधीश राजेंद्र मेनन व न्यायमूर्ति बृजेश सेठी की खंडपीठ ने याचिका को मंगलवार को सुनवाई के लिए सूचीबद्घ किया है।
अधिवक्ता अमित साहनी ने जनहित याचिका में कहा है कि स्वास्थ्य, कानून व विधि मंत्रालय से पूछा जाए कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट 1971 के उस प्रावधान में संशोधन कब किया जाएगा, जो 20 सप्ताह से अधिक का गर्भपात कराने की अनुमति नहीं देता। इस प्रावधान में संशोधन का प्रस्ताव 2014 में किया गया था।
अधिवक्ता अमित साहनी ने जनहित याचिका में कहा है कि स्वास्थ्य, कानून व विधि मंत्रालय से पूछा जाए कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट 1971 के उस प्रावधान में संशोधन कब किया जाएगा, जो 20 सप्ताह से अधिक का गर्भपात कराने की अनुमति नहीं देता। इस प्रावधान में संशोधन का प्रस्ताव 2014 में किया गया था।

गर्भावस्था समाप्त करने की समय सीमा 12 से बढ़कर 24/ 26 सप्ताह तक हो सकती है
राष्ट्रीय महिला आयोग गर्भपात के लिए समय सीमा बढ़ाने की सिफारिश कर चुका है कि इसे 20 से 24 सप्ताह तक बढ़ा दिया जाए उच्च न्यायालय के समक्ष दायर एक हलफनामे में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने यह कहा है कि उसने मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट, 1971 में संशोधन के लिए विभिन्न मंत्रालयों से परामर्श की प्रक्रिया शुरू की है और वो गर्भधारण की कानूनी समाप्ति के लिए ऊपरी समय सीमा को 20 सप्ताह से बढ़ाकर 24/26 सप्ताह तक करने के लिए जितनी जल्दी हो सके, अंतिम रूप देगा। वकील और एक्टिविस्ट अमित साहनी की याचिका पर आया यह जवाब ये हलफनामा वकील और एक्टिविस्ट अमित साहनी द्वारा एमटीपी अधिनियम की व्यावहारिकता पर सवाल उठाने वाली याचिका के जवाब में दायर किया गया है, जो 20 सप्ताह की अवधि के बाद भ्रूण के गंभीर रूप से पीड़ित होने पर भी गर्भावस्था को समाप्त करने पर रोक लगाता है।