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पूर्व कांग्रेसी नेता सुशील शर्मा को दिल्ली उच्च न्यायालय ने तीन सप्ताह के पैरोल पर रिहा
जानकारी के मुताबिक, दोषी सुशील शर्मा ने छह महीने के पैरोल की मांग की थी. उसने अपने अधिवक्ता अमित साहनी के जरिए दायर याचिका में दिल्ली सरकार के पिछले साल के 28 नवंबर के आदेश को चुनौती दी थी. दिल्ली सरकार ने नियमित पैरोल के लिए उनका आवेदन खारिज कर दिया था. सुशील शर्मा ने दिल्ली सरकार के फैसले के खिलाफ आवेदन दि
नैना साहनी कांडः जानिए क्या थी उस खौफनाक रात की कहानी, जब तंदूर में जलाई गई एक लाश
याचिका पर जिरह करते हुए सुशील के वकील अमित साहनी ने कहा कि वह साढ़े 23 साल की सजा काट चुका है, जबकि उसे 20 साल की सजा के बाद रिहा कर दिया जाना चाहिए था।
तंदूर हत्याकांड: दिल्ली हाई कोर्ट ने सुशील शर्मा को फौरन रिहा करने का आदेश दिया
दिल्ली हाई कोर्ट ने अपनी पत्नी की हत्या के मामले में उम्र कैद की सजा काट रहे युवा कांग्रेस के पूर्व नेता सुशील कुमार शर्मा को जेल से फौरन रिहा करने का शुक्रवार को आदेश दिया.
शर्मा की ओर से पेश होते हुए वकील अमित साहनी ने कहा कि समय से पूर्व रिहा करने वाले दिशानिर्देश के मुताबिक सिर्फ एक अपराध के लिए उम्र कैद की सजा काट रहे कैदी को 20 साल जेल में रहने के बाद रिहा करना होगा और जघन्य अपराधों के मामले में सजा काट रहे दोषियों को 25 साल के बाद राहत दी जाती है.
शर्मा की ओर से पेश होते हुए वकील अमित साहनी ने कहा कि समय से पूर्व रिहा करने वाले दिशानिर्देश के मुताबिक सिर्फ एक अपराध के लिए उम्र कैद की सजा काट रहे कैदी को 20 साल जेल में रहने के बाद रिहा करना होगा और जघन्य अपराधों के मामले में सजा काट रहे दोषियों को 25 साल के बाद राहत दी जाती है.
तंदूर हत्याकांड : अदालत ने दिया सुशील शर्मा को फौरन रिहा करने का आदेश
उच्च न्यायालय ने सजा समीक्षा बोर्ड (एसआरबी) की सिफारिशों को खारिज और रद्द कर दिया। दरअसल, बोर्ड ने शर्मा की समय से पहले रिहाई के लिए दिए गए अनुरोध को खारिज कर दिया था। इसके अलावा अदालत ने एसआरबी की सिफारिशों का उपराज्यपाल द्वारा 'नॉन स्पीकिंग एफर्मेशन' भी खारिज कर दिया, हालांकि उपराज्यपाल सक्षम प्राधिकार हैं। पीठ ने कहा कि इस तरह हम सरकार को सुशील शर्मा को फौरन रिहा करने का आदेश देते हैं।
इससे पहले अदालत ने दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया था और सजा में कमी की अवधि सहित 2 दशक से अधिक समय तक जेल में काटने के आधार पर हिरासत से रिहाई की मांग करने वाली शर्मा की याचिका पर उसका (दिल्ली सरकार का) रुख जानना चाहा था।
शर्मा की ओर से पेश होते हुए वकील अमित साहनी ने कहा कि समय से पूर्व रिहा करने वाले दिशा-निर्देश के मुताबिक सिर्फ एक अपराध के लिए उम्रकैद की सजा काट रहे कैदी को 20 साल जेल में रहने के बाद रिहा करना होगा और जघन्य अपराधों के मामले में सजा काट रहे दोषियों को 25 साल के बाद राहत दी जाती है।
इससे पहले अदालत ने दिल्ली सरकार को नोटिस जारी किया था और सजा में कमी की अवधि सहित 2 दशक से अधिक समय तक जेल में काटने के आधार पर हिरासत से रिहाई की मांग करने वाली शर्मा की याचिका पर उसका (दिल्ली सरकार का) रुख जानना चाहा था।
शर्मा की ओर से पेश होते हुए वकील अमित साहनी ने कहा कि समय से पूर्व रिहा करने वाले दिशा-निर्देश के मुताबिक सिर्फ एक अपराध के लिए उम्रकैद की सजा काट रहे कैदी को 20 साल जेल में रहने के बाद रिहा करना होगा और जघन्य अपराधों के मामले में सजा काट रहे दोषियों को 25 साल के बाद राहत दी जाती है।
तंदूर हत्याकांड : अदालत ने दिया सुशील शर्मा को फौरन रिहा करने का आदेश
शर्मा की ओर से पेश होते हुए वकील अमित साहनी ने कहा कि समय से पूर्व रिहा करने वाले दिशा-निर्देश के मुताबिक सिर्फ एक अपराध के लिए उम्रकैद की सजा काट रहे कैदी को 20 साल जेल में रहने के बाद रिहा करना होगा और जघन्य अपराधों के मामले में सजा काट रहे दोषियों को 25 साल के बाद राहत दी जाती है।
23 साल बाद सुशील शर्मा की रिहाई का आदेश
बेंच ने यह आदेश जेल में बंद सुशील शर्मा की ओर से वकील अमित साहनी द्वारा दाखिल याचिका पर दिया है। शर्मा की ओर से वकील साहनी ने बेंच को बताया था कि उम्रकैद की सजा पाए कैदियों की रिहाई के लिए सरकार ने दिशा-निर्देश तय किए हैं। साहनी ने बताया कि इसके तहत उम्रकैद की सजा पाए किसी कैदी का पहला अपराध है तो 20 साल, गंभीर अपराध होने पर 25 साल की सजा के बाद रिहा करने का प्रावधान किया है।
नैना साहनी तंदूर कांड : सुशील शर्मा की तत्काल रिहाई का आदेश
न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और संगीता ढींगरा सहगल की पीठ ने शर्मा द्वारा दाखिल रिहाई की याचिका को मंजूर कर लिया। सजा समीक्षा बोर्ड ने शर्मा की समयपूर्व रिहाई की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया था और कहा था कि वह अपनी पत्नी की क्रूर हत्या के लिए दोषी है। शर्मा के वकील अमित साहनी ने अदालत को बताया कि शर्मा 1995 से जेल में बंद है और वह अपनी अधिकतम निर्धारित सजा को पहले ही पूरा कर चुका है।
नैना साहनी तंदूर कांड : दिल्ली हाईकोर्ट ने दिया सुशील शर्मा की तत्काल रिहाई का आदेश
शर्मा के वकील अमित साहनी ने अदालत को बताया कि शर्मा 1995 से जेल में बंद है और वह अपनी अधिकतम निर्धारित सजा को पहले ही पूरा कर चुका है.
कांग्रेस कार्यकर्ता नैना साहनी की दो जुलाई 1995 की रात हत्या हो गई थी. उसके पति सुशील शर्मा ने उसे गोली मारी थी और उसके शव के टुकड़े कर एक रेस्तरां के तंदूर में जलाने का प्रयास किया था.
कांग्रेस कार्यकर्ता नैना साहनी की दो जुलाई 1995 की रात हत्या हो गई थी. उसके पति सुशील शर्मा ने उसे गोली मारी थी और उसके शव के टुकड़े कर एक रेस्तरां के तंदूर में जलाने का प्रयास किया था.
23 साल बाद सुशील शर्मा की रिहाई का आदेश
बेंच ने यह आदेश जेल में बंद सुशील शर्मा की ओर से वकील अमित साहनी द्वारा दाखिल याचिका पर दिया है। शर्मा की ओर से वकील साहनी ने बेंच को बताया था कि उम्रकैद की सजा पाए कैदियों की रिहाई के लिए सरकार ने दिशा-निर्देश तय किए हैं। साहनी ने बताया कि इसके तहत उम्रकैद की सजा पाए किसी कैदी का पहला अपराध है तो 20 साल, गंभीर अपराध होने पर 25 साल की सजा के बाद रिहा करने का प्रावधान किया है।
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बेंच ने कहा, 'प्रधान सचिव (गृह), जीएनसीटीडी के साथ-साथ कानून सचिव से अनुरोध है कि वे इस सुनवाई के बाद अदालत की सहायता के लिए सुनवाई की अगली तारीख पर उपस्थित रहें.' शर्मा की ओर से याचिका दायर करने वाले वकील अमित साहनी ने कहा कि - 'दोषी पिछले 29 सालों से जेल में है. और सेंटेंस रिव्यू बोर्ड (एसआरबी) के दिशानिर्देशों के अनुसार वो समय से पहले रिहाई के हकदार हैं.'
Naina Sahni तंदूर कांड सजा काट रहे सुशील शर्मा को तुरंत रिहा करें: दिल्ली हाईकोर्ट
याचिका अधिवक्ता अमित साहनी ने दायर की है। इसमें कहा गया है कि सुशील शर्मा का मामला पहली श्रेणी में आता है। वह 29 साल की सजा अब तक काट चुका है। इसमें से परोल व जमानत की अवधि हटा दी जाए तो वह 23 साल व छह माह की सजा काट चुका है।
नैना साहनी तंदूर कांड : सुशील शर्मा की तत्काल रिहाई का आदेश
नई दिल्ली : दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को युवा कांग्रेस के पूर्व नेता सुशील कुमार शर्मा की तुरंत रिहाई का आदेश जारी किया है। सुशील 1995 में अपनी पत्नी नैना साहनी की हत्या के मामले में उम्रकैद की सजा काट रहा है।
शर्मा के वकील अमित साहनी ने अदालत को बताया कि शर्मा 1995 से जेल में बंद है और वह अपनी अधिकतम निर्धारित सजा को पहले ही पूरा कर चुका है।
शर्मा के वकील अमित साहनी ने अदालत को बताया कि शर्मा 1995 से जेल में बंद है और वह अपनी अधिकतम निर्धारित सजा को पहले ही पूरा कर चुका है।
तंदूर कांड: जिस ने देश को हिला कर रख दिया था
याचिका पर जिरह करते हुए सुशील के वकील अमित साहनी ने कहा कि वह साढ़े 23 साल की सजा काट चुका है, जबकि उसे 20 साल की सजा के बाद रिहा कर दिया जाना चाहिए था।
उच्च न्यायालय ने तंदूर काण्ड के सजायाफ्ता सुशील शर्मा की रिहाई के आदेश दिए
शर्मा के वकील अमित साहनी ने उच्च न्यायालय को बताया कि शर्मा 1995 से जेल में बंद है . वह अपनी अधिकतम निर्धारित सजा को पहले ही पूरा कर चुका है।
तंदूर कांड की कहानी का सच और नतीजा
शर्मा के वकील अमित साहनी ने अदालत को बताया कि शर्मा 1995 से जेल में बंद है और वह अपनी अधिकतम निर्धारित सजा को पहले ही पूरा कर चुका है।
नैना साहनी तंदूर हत्याकांड: दोषी सुशील शर्मा को बड़ी राहत, दिल्ली हाईकोर्ट ने दिया तत्काल रिहाई का आदेश
सजा समीक्षा बोर्ड ने शर्मा की समयपूर्व रिहाई की मांग करने वाली याचिका को खारिज कर दिया था और कहा था कि वह अपनी पत्नी की क्रूर हत्या के लिए दोषी है. शर्मा के वकील अमित साहनी ने अदालत को बताया कि शर्मा 1995 से जेल में बंद है और वह अपनी अधिकतम निर्धारित सजा को पहले ही पूरा कर चुका है.
तंदूर हत्याकांड के दोषी सुशील शर्मा को तुरंत रिहा करो: दिल्ली हाईकोर्ट | सुरभि सलोनी
बैंच ने यह आदेश जेल में बंद सुशील शर्मा की ओर से वकील अमित साहनी द्वारा दाखिल याचिका पर दिया है। शर्मा की ओर से वकील साहनी ने बैंच को बताया था कि उम्रकैद की सजा पाए कैदियों की रिहाई के लिए सरकार ने दिशा-निर्देश तय किए हैं। साहनी ने बताया कि इसके तहत उम्रकैद की सजा पाए किसी कैदी का पहला अपराध है तो 20 साल, गंभीर अपराध होने पर 25 साल की सजा के बाद रिहा करने का प्रावधान किया है। याचिका में साहनी ने कहा है कि जहां तक उनके मुवक्किल का सवाल है तो वह 23 साल छह माह कैद और अच्छे व्यावहार के लिए मिली सजा माफी (रिमिशन) को मिलाकर 29 साल की सजा पूरी कर चुके हैं। उन्होंने कहा कि उनके मुवक्किल का अपराध पहली श्रेणी का है और ऐसे में अब रिहा किया जाना चाहिए। यचिका में कहा गया है कि सरकार ने बिना कारण बताए उनके मुवक्किल की रिहाई की मांग को सिरे से खारिज कर दिया है।
तंदूर हत्याकांड: अदालत ने सुशील शर्मा को फौरन रिहा करने का आदेश दिया
शर्मा की ओर से पेश होते हुए वकील अमित साहनी ने कहा कि समय से पूर्व रिहा करने वाले दिशानिर्देश के मुताबिक सिर्फ एक अपराध के लिए उम्र कैद की सजा काट रहे कैदी को 20 साल जेल में रहने के बाद रिहा करना होगा और जघन्य अपराधों के मामले में सजा काट रहे दोषियों को 25 साल के बाद राहत दी जाती है।
पत्नी का मर्डर करके लाश के टुकड़े तंदूर में जलाए, सजा काट रहे पति की रिहाई के आदेश
दिल्ली हाईकोर्ट ने 1995 तंदूर हत्याकांड मामले के दोषी सुशील शर्मा की तुरंत रिहाई के आदेश दे दिए हैं। उच्च न्यायालय ने मंगलवार को पूछा था कि क्या किसी व्यक्ति को हत्या के अपराध में अनिश्चितकाल के लिए जेल में बंद रखा जा सकता
इस मामले में सुशील शर्मा की ओर से वकील अमित साहनी द्वारा दाखिल याचिका में बेंच को बताया गया था कि उम्रकैद की सजा पाए कैदियों की रिहाई के लिए सरकार ने दिशा-निर्देश तय किए हैं। साहनी ने बताया कि इसके तहत उम्रकैद की सजा पाए किसी कैदी का पहला अपराध है तो 20 साल, गंभीर अपराध होने पर 25 साल की सजा के बाद रिहा करने का प्रावधान किया है।
इस मामले में सुशील शर्मा की ओर से वकील अमित साहनी द्वारा दाखिल याचिका में बेंच को बताया गया था कि उम्रकैद की सजा पाए कैदियों की रिहाई के लिए सरकार ने दिशा-निर्देश तय किए हैं। साहनी ने बताया कि इसके तहत उम्रकैद की सजा पाए किसी कैदी का पहला अपराध है तो 20 साल, गंभीर अपराध होने पर 25 साल की सजा के बाद रिहा करने का प्रावधान किया है।
पत्नी का मर्डर करके लाश के टुकड़े तंदूर में जलाए, सजा काट रहे पति की रिहाई के आदेश
जस्टिस सिद्धार्थ मृदुल और एस.डी. सहगल की बेंच ने सरकार से यह बताने के लिए कहा था कि 29 साल की सजा पूरी कर चुके शर्मा को क्यों नहीं रिहा किया गया। इस मामले में सुशील शर्मा की ओर से वकील अमित साहनी द्वारा दाखिल याचिका में बेंच को बताया गया था कि उम्रकैद की सजा पाए कैदियों की रिहाई के लिए सरकार ने दिशा-निर्देश तय किए हैं। साहनी ने बताया कि इसके तहत उम्रकैद की सजा पाए किसी कैदी का पहला अपराध है तो 20 साल, गंभीर अपराध होने पर 25 साल की सजा के बाद रिहा करने का प्रावधान किया है।
तंदूर हत्याकांड: पूर्व कांग्रेसी नेता को सुप्रीम कोर्ट ने पैरोल पर रिहा किया
सूत्रों के मुताबिक- दोषी सुशील शर्मा ने छह महीने के पैरोल की मांग की थी। उसने अपने अधिवक्ता अमित साहनी के जरिए दायर याचिका में दिल्ली सरकार के पिछले साल के 28 नवंबर के आदेश को चुनौती दी थी। दिल्ली सरकार ने नियमित पैरोल के लिए उनका आवेदन खारिज कर दिया था। सुशील शर्मा ने दिल्ली सरकार के फैसले के खिलाफ आवेदन दिया था।